Question / प्रश्न 93
Is Life Just A Coincidence Only?
क्या जीवन एक संयोगमात्र है?
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How You would describe Yourself to You Yourself?
स्वयं का अपना परिचय स्वयं अपने आपको आप कैसे देंगे?
आप किसी भी तरह से स्वयं की अपनी कोई मानसिक प्रतिमा बना लें, इस सच्चाई को कभी झुठला न सकेंगे कि वस्तुतः आप ऐसी कोई प्रतिमा नहीं बल्कि जीवन की ऐसी असंख्य गतिविधियों में से ही एक हैं, और एक सूत्र जो आपके व्यक्तित्व को परिभाषित करता है, वह "मैं" रूपी अध्यास है जो कि आपकी शुद्ध "होने मात्र" की भावना पर आच्छादित हो जाता है। यही वह प्रतिमा होती है जो यद्यपि सतत बदलती रहती है और फिर उसे ही "अपना अस्तित्व" मान लिया जाता है।
इसे मैं स्वयं पर लागू करूँ तो मुझे स्मरण होता है कि मेरी स्मृति में वे तमाम महत्वपूर्ण घटनाएँ आज तक भी अंकित हैं जिन्हें क्रमबद्घ कर मैं अपने व्यक्तिगत इतिहास को संक्षिप्त रूप में लिख सकता हूँ। और शायद प्रत्येक ही व्यक्ति ऐसा कर सकता है।
ये सभी घटनाएँ यदृच्छया (random) होनेवाले संयोग भर होते हैं, या वे क्यों हुई इसके पीछे के मूल कारणों को जाना जा सकता है?
आयु बढ़ने के साथ मनुष्य की सहन करने की शक्ति कम होने लगती है और उसका आत्मविश्वास भी क्रमशः कम होता जाता है। कभी कभी एकाएक किसी समय पर वह टूट ही जाता है। जिसे मृत्यु कहा जाता है, उसका जीवन क्या उस समय समाप्त हो जाता है? या उस किसी ऐसे आयाम में बना ही रहता है जहाँ केवल उसकी व्यक्तिगत पहचान भर मिट चुकी होती है?
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