कविता / कुछ भी!
--
जब माहौल बहुत बेदर्द होता है,
हरेक रिश्ता बहुत सर्द होता है,
हर तरफ गर्द ही गर्द होता है,
हर एक चेहरा ही ज़र्द होता है,
कहीं कोई नहीं हमदर्द होता है,
तब मर्द को भी दर्द होता है!!
***
कविता / कुछ भी!
--
जब माहौल बहुत बेदर्द होता है,
हरेक रिश्ता बहुत सर्द होता है,
हर तरफ गर्द ही गर्द होता है,
हर एक चेहरा ही ज़र्द होता है,
कहीं कोई नहीं हमदर्द होता है,
तब मर्द को भी दर्द होता है!!
***
No comments:
Post a Comment