July 14, 2023

मुझे नहीं पता था!

एक अंत : एक प्रारंभ 

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कि यह अंत एक नया प्रारंभ होगा।

अब वे मुझसे मिलने प्रतिदिन आने लगे। फोन उनके पास भी था और मेरे पास भी था, लेकिन मुझसे फोन पर बात करना वे नहीं चाहते थे। शायद वे यह भी चाहते थे कि उनके मित्रों और 'टीम' के लोगों से मैं भी बातें न करूँ। वैसे भी मैं बहुत ही कम लोगों से फोन पर बातचीत करता था। वह भी आवश्यक होने पर ही। इसलिए हम दोनों के बीच फोन पर कभी बातचीत ही नहीं हुई।

वे अकसर शाम को मेरे घर आया करते थे। और चूँकि उनके घर पर उनसे और उनके परिवार से मिलने के लिए आनेवाले लोग कम न थे, और मैं नितान्त अकेला था, इसलिए भी वे ही मुझसे मिलने आया करते थे। यह थोड़ा विचित्र लगता था कि उन्होंने कभी उनके मित्रों, परिवार या परिचितों के बारे में मुझसे कोई बात कभी नहीं की, लेकिन मेरे बारे में, मेरा नाम लिए बिना ही वे बहुत सी बातें उनके मिलनेवालों से करते रहते थे। उन्होंने ही इसका भी अपना ही एक तरीका खोज लिया था। मुझसे बातें करने के बाद वे उन बातों के 'नोट्स' बनाने लगे थे, और उन पूरे दो तीन वर्षों के 'नोट्स' को उन्होंने बहुत सुरक्षित रखा, जिसकी जानकारी किसी और को नहीं थी। मुझसे मुलाकात होने के दो तीन साल बाद दुर्भाग्यवश उनकी एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई। बहुत दिनों तक वे मुझसे मिलने नहीं आए, तो मुझे फिक्र होने लगी। और चूँकि उन्होंने मेरा किसी से परिचय नहीं कराया था, इसलिए भी मुझे बहुत दिनों बाद ही इस बारे में पता चला।

हुआ यह, कि जिस शिक्षा संस्थान की स्थापना उन्होंने की थी, वहाँ उन्होंने उनके मित्रों और लोगों से शिक्षा प्रणाली से संबंधित मेरी उन बातों की चर्चा मेरा नाम लिए बिना ही की थी, उनमें से ही पत्रकार किस्म के एक आदमी को यह मालूम था कि मुझसे मिलने के लिए वे प्रायः शाम को आया करते थे।

चूँकि वह पत्रकार था, इसलिए मेरे यहाँ अखबार देनेवाले से भी उसकी पहचान थी। और उसी माध्यम से मुझे इस बारे में पता चला।

उनके परिवार के लोग और दूसरे लोग भी उनके उन 'नोट्स' को प्रकाशित करने के बारे में सोच रहे थे और इसलिए भी अचानक मैं उनके लिए महत्वपूर्ण बढ़ गया।

वैसे भी शिक्षा के व्यवसाय और व्यवसाय (प्रबंधन) की शिक्षा के क्षेत्र में वे एक जाना माना नाम थे, और उनकी लिखी कुछ किताबें पहले भी प्रकाशित हुईं थी, इसलिए भी उनके 'नोट्स' का प्रकाशन एकाएक ही एक महत्वपूर्ण, विचाराधीन विषय हो गया।

उनके द्वारा स्थापित उस शिक्षा संस्थान में उस किताब का एक विशेष स्थान हो सकता था। इसलिए भी कुछ लोग इस दिशा में सक्रिय हुए होंगे।

अब वे तो नहीं रहे थे, किन्तु ये पत्रकार महोदय मुझसे मिलने के लिए आने लगे, क्योंकि उन्हें अनुमान हो गया था, या उन्होंने ही उसे मेरे बारे में कोई संकेत या जानकारी दी होगी।

एक छोटी सी बात भी कितनी दूर तक जा सकती है!

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