July 13, 2023

और, अगले ही दिन

भविष्य या भविष्य की कल्पना! 

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वे अप्रत्याशित रूप से मुझसे मिलने चले आए। 

"क्षमा चाहता हूँ, कल आपसे हुई बातों पर देर तक सोचता रहा। मैं मानता हूँ कि इस शिक्षा संस्थान की स्थापना मैंने सिर्फ इस उद्देश्य से की थी ताकि बच्चों का भविष्य बनाया और सँवारा जा सके, और इसलिए मैंने अपने जैसे विचारोंवालों दोस्तों और दूसरे लोगों को मिलाकर एक टीम बनाई। वास्तव में मुझे इसकी कल्पना तक नहीं थी, कि मुझसे जुड़नेवाले दोस्तों और लोगों की रुचि उस लक्ष्य में कदापि नहीं थी जो कि मेरा सपना था। मैं यह भी मानता हूँ कि मैं स्वयं किसी आदर्शवाद से प्रेरित था। पर कल हुई आपके साथ की बातचीत से यह भी समझ में आ गया कि कोरा आदर्शवाद कितनी बुरी तरह भ्रमित कर देता है। आदर्शवाद के साथ सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि हम भविष्य को तो नहीं, उसके काल्पनिक चित्र को सत्य मान बैठते हैं और उससे बुरी तरह मोहित होकर संसार को सुधारने और बदलने जैसे व्यर्थ कार्य में अपने प्रत्यक्ष वर्तमान (के) सत्य को न सिर्फ तोड़ मरोड़ देते है, बल्कि उस चित्र के आकर्षण में इसलिए भी बँध जाते हैं क्योंकि इस प्रकार से हम अपनी अस्मिता को और  गौरवान्वित कर सकें। यह अस्मिता, जो भीतर के खालीपन की, रिक्तता की भी प्रत्यक्ष वास्तविकता होती है, निरंतर सहारा दिए जाने से ही इतनी ठोस और सत्य जान पड़ती है।

कल की आपकी बातों से पहले तो मुझे बहुत गहरी ठेस लगी, और मन में आपके प्रति दुर्भावनाएँ पैदा होने लगी। रात भर मैं सो भी न सका। लेकिन भोर होने से कुछ पहले आँख लग गई।  भोर में जब उठा तो मन अत्यन्त शान्त था। वैसा ही, जैसा मेरे बचपन में अकसर ही होता था। फिर कल की आपसे हुई बातें याद आईं तो मन में शर्म, ग्लानि और अपराध बोध पैदा हुआ।  फिर भी साहस कर आपसे क्षमा माँगने चला आया ।"

उनका गला रुँध आया था और वे बोल तक नहीं पा रहे थे।

मैंने उनसे क्षमा माँगी तो बोल पड़े :

"अरे अरे! क्या करते हैं! मैं तो आपको धन्यवाद देने आया हूँ। आजकल आपके जैसे लोग कहाँ मिलते हैं। लेकिन मुझे किसी दूसरे से भी कोई शिकायत नहीं है, आखिर कल तक तो मैं भी उनके ही जैसा था न!"

वे दोनों हाथ जोड़कर खड़े हो गए। यह तो अच्छा था कि उनके संस्कार ने ही उन्हें मेरे पैर छूने से रोक रखा था, इस तरह उन्होंने मुझे शर्मिन्दा होने से भी बचा लिया था। 

मैंने भी प्रत्यत्तर में हाथ जोड़ दिए और उन्हें छोडने के लिए गेट तक चला आया।

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