July 11, 2023

भूत, भविष्य और स्मृति

वर्तमान का यह क्षण

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मेरा आज का वर्डप्रेस ब्लॉगपोस्ट 

Is There A Future?

संक्षेप में, पातञ्जल योगदर्शन के अनुसार :

प्रत्यक्षानुमानागमाः प्रमाणानि।।

प्रमाणविपर्ययविकल्पनिद्रास्मृतयः।।

यही पाँच वृत्तियाँ हैं जिनके निरुद्ध किए जाने के बाद ही योग का अभ्यास प्रारंभ होता है। 

अतः प्रमाण पुनः "वृत्ति" है। वृत्ति ही "मन" है। और जैसा कि श्री रमण महर्षि कृत "उपदेशसारः" में कहा गया है :

वृत्तयस्त्वहंवृत्तिमाश्रिताः।। 

वृत्तयो मनः विद्ध्यहं मनः।। 

अतीत, "भविष्य" और कल्पित वर्तमान "अनुमान" है।

अतीत, वर्तमान और भविष्य के रूप में जिसे अनुभव किया / या जाना जाता है, वह "काल" जड है, जबकि उसे जाननेवाला चेतन है। काल और स्थान परस्पर अभिन्न हैं, जिनका उद्भव  एक ही स्रोत अविनाशी अक्षर ब्रह्म से होता है:

शिव अथर्वशीर्ष में इसे ही रुद्र कहा जाता है :

अक्षरात्सञ्जायते कालः कालाद्व्यापकः उच्यते भोगायमानो।। व्यापको हि भगवान् रुद्रो यदा शेते रुद्रः संहार्यते प्रजाः।।

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