January 22, 2023

क्या संसार कविता / काव्य है?

कविर्मनीषी परिभू स्वयंभू ...

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ईशावास्योपनिषद्  मंत्र ८

Truth can not be exact.

Krishnamurti's Notebook

(Gstaad,  Switzerland July 15 1961)

श्री जे. कृष्णमूर्ति की नोटबुक का अनुवाद करते समय उपरोक्त पंक्ति में 'exact' के लिए हिन्दी में कौन सा शब्द उपयुक्त होगा यह सोचते हुए मन में एक शब्द कौंधा :

'याथातथ्यतः'

इस शब्द का प्रयोग उस अनुवाद में शायद मैंने किया भी होगा, किन्तु वह शब्द उन लोगों की दृष्टि में 'गरिष्ठ' था जो मेरे अनुवाद के कार्य को प्रकाशित करने से पहले सरल भाषा प्रयोग करने पर जोर देते थे। चूँकि उनके इस मत से मैं पूरी तरह सहमत था कि श्री कृष्णमूर्ति के साहित्य के अनुवाद का कार्य अत्यन्त ही और पूरी सावधानी से किया जाना चाहिए, इसलिए मैंने अपना कार्य पूर्ण कर उन्हें पाण्डुलिपि सौंप दी ताकि वे उनके विवेक के अनुसार उसे संशोधित, स्वीकृत, अस्वीकृत प्रकाशित करें या न करें, या अनिश्चित समय के लिए विचाराधीन बनाए रखें। मेरा न तो कोई आग्रह था न आग्रह करने का मेरा कोई अधिकार ही था क्योंकि यह कार्य मैंने स्वयं ही करना चाहा था, और इसे करने के लिए किसी ने मुझसे कहा भी नहीं था।

अब, "याथातथ्यतः" :

इस पोस्ट के उप-शीर्षक का प्रयोग ईशावास्योपनिषद् के मंत्र ८ में इस प्रकार से किया गया है :

स पर्यगाच्छुक्रमकायमव्रण-

मस्नाविर्ँ शुद्धमपापविद्धम्। 

कविर्मनीषी परिभूः स्वयंभूर्याथातथ्यतो-

ऽर्थान् व्यदधाच्छाश्वतीभ्यः समाभ्यः।।८।।

सः परि-अगात् शुक्रं अकायं अव्रणं अस्नाविरं शुद्धं-अपापविद्धं। कविः मनीषी परिभूः स्वयंभूः याथातथ्यतः अर्थान् व्यदधात् शाश्वतीभ्यः समाभ्यः।। 

One Who alone pervades within and also the without, Self-Resplendent, is not organism like a living body, has no blemish, abscess, hurt, defect, sore, injury or hurt, is without nervous activity, is Pure, ever so untouched by the sin.

Poet (कवि - सर्वत्र व्याप्त) Intelligent (मनीषा - मनसः ईश:) - is the Lord of the mind, is everywhere and beyond, An Expression of  Himself and on His own, One Who holds for all the times the Exact meaning / essence.

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