August 03, 2017

ख / ख़ - नुक्‍ता चीं - अनुक्‍त-चिह्नकोश

निवेदन :
प्रस्तुत ब्लॉग में केवल उन्हीं शब्दों का संग्रह है जिन्हें लिखने में नुक्ते / नुक़्ते / नुकते / नुक़ते का प्रयोग प्रचलित देवनागरी लिपि में लिखी जानेवाली उर्दू तथा हिंदी में प्रायः पाया जाता है।
यदि किसी शब्द की सही वर्तनी (स्पेलिंग / हिज्जे) क्या है इस बारे में संशय है, तो उस शब्द की वर्तनी (स्पेलिंग / हिज्जे) यहाँ खोजिए ! यदि यह शब्द आपको यहाँ मिल जाता है तो उस शब्द में नुक्ते / नुक़्ते / नुकते / नुक़ते का प्रयोग अवश्य है। और वह शब्द अगर यहाँ नहीं पाया जाता है, तो उसकी सही वर्तनी में भी नुक्ते / नुक़्ते / नुकते / नुक़ते का प्रयोग नहीं होता ।
संक्षेप में, ब्लॉग को अनावश्यक विस्तार देने से बचाने के उद्देश्य से ऐसे तमाम शब्दों को
"नुक्‍ता चीं : अनुक्त चिह्नकोश"
 में स्थान नहीं दिया गया है।
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ख / ख़
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ख़ंजर,
ख़ंजरी dagger ,
ख़ंजरी (खंजड़ी),
ख़ंदक़ trench,
ख़च्चर mule,
ख़ज़ांची, ख़ज़ाना,
ख़त,
ख़तना,
ख़तम, ख़त्म, ख़ात्मा,
ख़तरनाक, ख़तरा,
ख़फ़गी, ख़फ़ा, ख़ौफ़,
ख़बर, ख़बरगीर, ख़बरनवीस,
ख़बीस (बुरा, दुष्ट, दुष्ट आत्मा, पिशाच),
ख़ब्त (पागलपन, उन्माद), ख़ब्ती (उन्मत्त),
ख़म (वक्रता, टेढ़ापन, ज़ुल्फ़ का ख़म),
ख़मियाज़ा (भरना, वसूल करना, भुगतना),
ख़मी (धूर्तता),
ख़मीर (उठना),
ख़मीरा (सुगंधित तम्बाकू, गाढ़ा चाशनी जैसा पदार्थ),
ख़मोश, ख़ामोश (चुप, मौन, शान्त),
ख़मोशी, ख़ामोशी,
ख़यानत (विश्वासघात, भरोसा तोड़ना),
ख़याल (विचार, ध्यान, सावधानी, कल्पना, अनुमान,),
ख़यालात,
ख़याली,
ख़र (चंचल), ख़रगोश, ख़र-दिमाग़,
ख़रख़शा (झगड़ा, झड़प, लड़ाई),
ख़रबूज़ा, ख़रबूज़ी (रंग या प्रकार),
ख़राद, ख़रादना (धातुकर्म), ख़रादी (लुहार),
ख़राब (बुरा, बेकार), ख़राबी,
ख़रामाँ (संयत, सभ्य, नपा-तुला)
ख़राश (गले में होना), ख़राशना, ख़ारिश,
ख़रीता (थैली, बटुआ),
ख़रीद, ख़रीदना, ख़रीद-फ़रोख़्त,
ख़रीदार, ख़रीदारी,
ख़रीफ़ (वसंत ऋतु तक होनेवाली उपज), ख़रीफ़ी (फ़सल),
ख़र्च, ख़र्चना, ख़र्चा, ख़र्ची,ख़र्चीला, ख़र्चू,
ख़लक़ (संसार)
[ख़लक़ ख़ुदा का, मुलुक (मुल्क, राज्य) बादशाह का, हुक़ुम (हुक्म) शहर-कोतवाल का...]
ख़लल (बाधा),
ख़लास (मुक्त, मुक्त होना, राहत मिलना, छूटना),
ख़लासी (क़ुली, माल ढोनेवाला श्रमिक),
ख़लिश (गुदगुदी, चुभन), ...
(कोई मेरे दिल से पूछे तेरे तीरे नीमकश को,
ये ख़लिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता... -ग़ालिब)
ख़लीज (खाड़ी) ख़लीज की जंग (खाड़ी-युद्ध),
ख़लीफ़ा, ख़िलाफ़त (उत्तराधिकार), ख़िलाफ़त (शासन), ख़िलाफ़ (विपक्ष, विरोधी),
ख़वातीन (स्त्री, महिला -बहुवचन), ख़ातून (स्त्री, महिला -एकवचन),
ख़वास (सेवक),
ख़शख़श (खसखस, अफ़ीम के डोड़ा का दाना),
ख़स (ख़स के पर्दे, जो ठंडक के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं),
ख़सम (पति),
ख़सरा (पटवारी का कृषि-भूमियों का लेखा-जोखा, ख़सरा-खाता),
ख़सी (ख़स्सी, बधिया),
ख़सीस (नीच, कुटिल, बदमश),
ख़स्तगी (कुरकुरापन),
ख़स्ता (कुरकुरा, भंगुर),
ख़ाँ (ख़ान),
ख़ाक (मिट्टी), ख़ाकी (रंग) ख़ाकसार (नम्रता से शिष्टतावश स्वयं के बारे में उक्ति),
ख़ाका (रूपरेखा),
ख़ातिर (के लिए, सम्मान), ख़ातिरदारी,
ख़ातून (स्त्री, महिला -एकवचन), ख़वातीन (स्त्री, महिला -बहुवचन),
ख़ादिम (सेवक), ख़ादिमा (सेविका),  
ख़ान (खाँ), समुदाय का प्रधान व्यक्ति या उसका वारिस,
ख़ानगी, (घरेलू,व्यक्तिगत, स्त्रीवाची -वैश्या),
ख़ानदान (परिवार, कुल), ख़ानदानी,
ख़ानसामाँ (ख़ान-सामान, भंडारी, बावर्ची, रसोइया),
ख़ाना (हिस्सा, कार्यालय, घर, दवाख़ाना, डाकख़ाना, मुसाफ़िरख़ाना), ख़ाना-ख़राबी (परिवार का नष्ट हो जाना), ख़ाना-जंगी (युद्धविराम), ख़ाना-तलाशी (पता खोजना), ख़ानापूरी करना (जानकारी दर्ज करना), ख़ाना-ब-दोश (बेघर, प्रवासी),
ख़ाब (स्वप्न), ख़्वाब,
ख़ाम (कच्चा, अधूरा), ख़ाम-ख़याली, ख़ामख़्वाह / ख़्वामख़्वाह / ख़ामख़ा (अकारण),
ख़ामी (अभाव, दोष, त्रुटि),
ख़ामोश (चुप),
ख़ार (काँटा)
[इन आबलों से पाओं के घबरा गया था मैं,
दिल ख़ुश हुआ है राह को पुर-ख़ार देखकर, -ग़ालिब]
ख़ारिज (निरस्त करना, होना), ख़ारिश (ख़राश) (संस्कृत क्षरित, क्षारित),
ख़ालसा (ख़ालिस) शुद्ध (संस्कृत प्र-क्षालित),
ख़ाला (मामी),
ख़ालिक़ (सृष्टिकर्ता, विधाता),
(ख़ालिस) (शुद्ध - संस्कृत प्र-क्षालित),
ख़ाली (रिक्त),
ख़ाविंद (पति, स्वामी),
ख़ास (विशिष्ट), ख़ासियत (विशेषता)
ख़ासा (बहुत अधिक, प्रचुर),
ख़ासियत (विशेषता),
ख़ाहमख़ाह (ख़ामख़्वाह / ख़्वामख़्वाह / ख़ामख़ा, -अकारण), बेवजह,
ख़ाहिश (इच्छा), ख़्वाहिश,
ख़िज़ाँ (पतझड़),
ख़िज़ाब (hair-dye),
ख़िताब (पदक), ख़िताबी (स्पर्धात्मक),
ख़िदमत (सेवा), ख़िदमती (सेवक, सेवा से संबंधित),
ख़िराज (कर, टैक्स, अंशदान, हिस्सा),
ख़िलअत (सम्मान),
ख़िलाफ़ (विरुद्ध), [ख़लीफ़ा, ख़िलाफ़त (उत्तराधिकार), ख़िलाफ़त (शासन), ख़िलाफ़ (विपक्ष, विरोधी)],
ख़िलाफ़त (उत्तराधिकार),
ख़ुतबा (पढ़ना), लिखे हुए को पढ़ना,
ख़ुतूत (अक्षर, पत्र, लेख),
ख़ुद (स्वयं),
ख़ुद-इख़्तियार, ख़ुद-कुशी, ख़ुद-ग़र्ज़, ख़ुद-ब-ख़ुद,
ख़ुदरा (थोक / ख़ुदरा भाव),
ख़ुदा (परमेश्वर),
ख़ुदाई (ईश्वरीय),
ख़ुदावंद (ईश्वर),
ख़ुदी (स्वाभिमान),
ख़ुफ़िया (गुप्तचर),
ख़ुम (मदिरा पात्र)
ख़ुमार (नशा, मत्त होना),
ख़ुमारी (नशा, उल्लास),
ख़ुरजी (थैला),
ख़ुरमा (खजूर, मीठा व्यंजन),
ख़ुराक (आहार),
ख़ुराफ़ात (उपद्रव),
ख़ुर्द (छोटा),
ख़ुर्दा (रेज़ग़ी बिक्री या ख़रीद),
ख़ुर्रम (ख़ुश),
ख़ुलासा (विस्तार, स्पष्टता),
ख़ुश (प्रसन्न),
ख़ुशाल, ख़ुशहाल (सकुशल),
ख़ुशी (प्रसन्नता)
ख़ुश्क (सूखा),
ख़ुश्की (सूखापन),
ख़ुसूसन (ख़ासकर),
ख़ुसूसियत (विशेषता), ख़ासियत,
ख़ूँख़्वार / खूँख़ार  (नृशंस),
ख़ून (लहू, रक्त),
ख़ूनी,
ख़ूब,
ख़ूबानी (अंजीर या अख़रोट),
ख़ूबी (विशेषता), बख़ूबी,
ख़ेमा (शिविर, पक्ष),
ख़ैर (कुशल) ... माँगे सबकी ख़ैर,
ख़ैरख़्वाह, ख़ैर-ख़बर,
ख़ैरात (दान),
ख़ैराती (दान से संबद्ध, लेने या देने वाला),
ख़ैरियत (कुशल-मंगल),
ख़ोजा / ख़्वाजा,
ख़ोर (मुफ़्तख़ोर, चुग़लख़ोर),
ख़ौफ़ (भय), ख़ौफ़नाक (भयावह),
ख़्याल (ख़याल),
ख़्वाजा,
ख़्वाब (ख़ाब),
ख़्वार (नीच, घटिया),
ख़्वारी (घटियापन, नीचता),
ख़्वाह (करनेवाला), ख़ैरख़्वाह, ख़ामख़्वाह,
ख़्वाहिश (इच्छा), ख़्वाहिशमंद (इच्छुक),
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