अब,
आज 06 अगस्त है। परसों 04 08 2024 के दिन दोपहर 02 बजे उज्जैन से चला था और कल 05 08 2024 के दिन सुबह 05:30 के लगभग यहाँ पहुँचा।
वर्ष 2016 के मार्च माह की 19 तारीख को उज्जैन से नर्मदातट पर स्थित केवटग्राम नावघाटखेड़ी के लिए निकला था जहाँ पर 31 07 2016 पर स्वास्थ्य बिगड़ गया था और वहाँ आगे रह पाना असंभव हो गया था। एक मित्र को फोन पर बताया तो उन्होंने एम्बुलेंस भेज दी, जो इलाज के लिए इंदौर-खंडवा-रोड पर स्थित चिकित्सालय ले गई। ठीक हो जाने पर अगस्त 2016 की 05 तारीख को मैं देवास चला गया। देवास से वर्ष 2019 के नवंबर में किसी दिन पुनः उज्जैन के लिए वहाँ से रवाना हुआ। उज्जैन में रहने के उस दौरान कोरोना फैला और वर्ष 2023 के मई माह तक उज्जैन में रहा। फिर एक मित्र के गाँव चला गया। उस गाँव में 2024 के मार्च माह तक रहने के बाद पुनः उज्जैन चला आया। मार्च-अप्रैल 2024 के बाद 05-08-2024 तक जैसे तैसे उज्जैन में रहने के बाद तय पाया कि उज्जैन में आगे और रहना संभव नहीं है, इसलिए 05-08-2024 के दिन वहाँ से निकला और कल याने अगस्त 06-08-2024 के दिन सुबह यहाँ पहुँचा। 2016 का वह एक सप्ताह और 2024 का यह सप्ताह आश्चर्यजनक रूप से समान थे। बिल्कुल ही समान और मानों वैसी ही मानसिक और शारीरिक स्थितियों की पुनरावृत्ति भर हो रही है ऐसा लगता है।
नर्मदा-तट पर पहले वर्ष 1984 में एक दिन के लिए, और फिर 1991-92 में अनेक बार आया और वहाँ से अन्यत्र जा चुका था किन्तु इस बार का यहाँ का आना अप्रत्याशित और आकस्मिक संयोग ही जान पड़ता है। आभास होता है कि अपनी शेष आयु यहीं पर बिता सकूंगा।।
नर्मदे हर!!
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