31 जुलाई 2016 के दिन मैं नर्मदा-तट पर स्थित एक छोटे से गाँव नावघाटखेड़ी में था।
हफ्ते भर पहले से मौसम हफ्ते भर से भी अधिक समय से वैसा ही था जैसा अभी :
wet bulb atmosphere
की तरह यहाँ है। ऐसा मौसम, जब हवा में बहुत अधिक नमी, उमस और गर्मी से होती है और पसीना बहुत आता है किन्तु न तो उड़ पाता है, न सूख पाता है, शरीर गीला और चिपचिपा होता है।
हैरत कि बात यह कि अभी ही जब 01 जुलाई 2024 से मुझ पर एक ओर तो स्थान छोड़ने का दबाव बढ़ रहा था किन्तु दूसरी ओर स्थान छोड़ना या बदल पाना भी उतना ही मुश्किल था, और वह 20 जुलाई पर चरम पर पहुँचने लगा था तो मेरा ध्यान इस संयोग पर गया कि ठीक आठ वर्ष पहले 2016 में भी इन्हीं तारीखों में यही स्थिति मेरे साथ हो रही थी।
31 जुलाई 2016 की शाम मुझे अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था। अब यद्यपि अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत या संभावना नहीं है, किन्तु अनिश्चितता बिलकुल वैसी ही है। जैसे उस समय अस्पताल में बहुत आराम था वैसे ही अभी भी है।
31 जुलाई 2016 से 05 अगस्त तक अस्पताल में रहा। अस्पताल छोड़ने के बाद आगे कहाँ जाना होगा, तय न था।
आज 02 अगस्त है और मैं उसी मनःस्थिति में हूँ, उसी मनःस्थिति को जी रहा हूँ।
क्या यह सब संयोगमात्र है, या कुछ और है, नहीं पता!
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