August 16, 2024

सर्वसंकल्पसंन्यासी

Question / प्रश्न 100.

What Is Choiceless Awareness?

निर्विकल्प-चेतना  / चुनावशून्य अवधान क्या है?

Answer / उत्तर :

In a book written by :

"K" - (Bharadwaja Kapali Shastri), a disciple of Ganapati Muni, and a devotee of Bhagawan Shri Ramana Maharshi wrote a commentary on the "Sat-Darshanam" -- forty stanzas on Reality, of Sri Ramana Maharshi.

In the introductory chapter :

Doubts Cleared

The devotee asks Sri Ramana :

"How one can be free of thoughts (संकल्प)?"

In the answer Sri Ramana says :

"No one can make any effort to free oneself from the thoughts (संकल्प). There is a time (when you are driven by thoughts -संकल्प), and for you, and presently, it is just not possible for you to stop the effort, to be free from the thought, but there will be a time, when it will be impossible for you to make any effort, and to become free of thought (संकल्प)".

(The following is my own view -) 

This happens when you discover that all thought is ignorance only.

Patanjali calls it vRtti / वृत्ति .

Sri Ramana says in the  उपदेश सारः /  UpadeshaSaraH   :

मानसं तु किं मार्गणे कृते।।

नैव मानसं मार्ग आर्जवात्।।

and, 

वृत्तयस्त्वहंवृत्तिमाश्रिताः।।

वृत्तयो मनः विद्ध्यहं मनः।।

मन वृत्ति है, और समस्त वृत्तियाँ मन का ही पर्याय हैं और सभी अहं-वृत्ति (Since of I) पर ही आश्रित होती हैं। अहं-वृत्ति ही अहं-संकल्प (I-thought) है। इसलिए इस संकल्प के स्वरूप को समझ लिया जाना ही इसका निरसन है। किसी भी दूसरे संकल्प से इस संकल्प का निरसन (elimination) नहीं किया जा सकता है।

तात्पर्य यह हुआ कि संकल्पमात्र का निरसन अहं-संकल्प की निवृत्ति हो जाने पर ही संभव होता है। 

क्योंकि संकल्पमात्र ही चुनाव और विकल्प भी है। और इसीलिए चुनावशून्य अवधान (Choiceless Awareness)  में ही समस्त वृत्तियों और संकल्प का निवारण हो जाता है।

सर्वसंकल्पों से रहित हो जाना, चुनावशून्य अवधान -Choiceless Awareness  या "मन क्या है" इस प्रकार के अनुसंधान (questioning about what is mind -enquiry of the nature and the structure of mind;  how it comes into existence, how the mind assumes Reality and becomes all in all)  ही इसलिए एकमात्र उपाय है जैसा कि ऊपर कहा गया - 

मानसं तु किं मार्गणे कृते।। 

नैव मानसं मार्ग आर्जवात्।।

जिसका दूसरा नाम है चुनावशून्य जागरूकता / Choiceless Awareness.

Choiceless Awareness happens in the ending of thought, and the ending of thought happens when the mind is attentive only, when in there is the Choiceless Awareness.

The same truth is underlined in the Gita in the following verses 3 and 4 of chapter 6

आरुरुक्षोर्मुनेर्योगं कर्म कारणमुच्यते।।

योगारूढस्य तस्यैव शमः कारणमुच्यते।।३।।

यदा हि नेन्द्रियार्थेषु न कर्मस्वनुषज्जते।।

सर्वसंकल्पसंन्यासी योगारूढस्तदोच्यते।।४।।

(अध्याय ६)

संक्षेप में, जिज्ञासु और मुमुक्षु प्रथमतः आरुरुक्षु होता है, और बाद में परिपक्व हो जाने पर योगारूढ हो जाता है जब उसके समस्त संकल्पों का शमन हो जाता है, उसके समस्त शान्त हो जाते हैं।

योगारूढ दशा ही सर्वसंकल्पसंन्यास है,

अर्थात् यही चुनावशून्य अवधान,

Choiceless Awareness भी है। 

***








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