August 12, 2024

दंभ और पाखंड

Question  / प्रश्न 99

Is Awareness Consciousness? 

Is Consciousness Knowledge? 

Is Knowledge Intellect?

Is Intellect Wisdom? 

Is Wisdom Intelligence?

Is Intelligence Ultimate Freedom?

क्या चैतन्य चेतना है? 

क्या चेतना जानकारी है? 

क्या जानकारी बुद्धि है?

क्या बुद्धि विवेक है?

क्या विवेक प्रज्ञा है?

क्या प्रज्ञा परम स्वतंत्रता है?

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Answer / उत्तर :

इन प्रश्नों का यह क्रम किसी विशिष्ट प्रयोजन से प्रेरित है। इसकी पूर्व भूमिका के लिए हमें एक बार पुनः मेरे द्वारा लिखे गए पहले के :

ज्ञान का भ्रम और भ्रम का ज्ञान

और इससे संबंधित दूसरे कुछ पोस्ट्स का अवलोकन करना सहायक हो सकता है।

उपरोक्त शीर्षक से लिखे गए पोस्ट में इसका उल्लेख किया गया है किस प्रकार नैतिकता / Ethics और  शालीनता / Morality  की शिक्षा सभ्य समाज के निर्माण हेतु अपरिहार्यतः आवश्यक हैं और यह तब तक व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है जब तक स्वयं शिक्षक में ही आचरण की यह प्रवृत्ति स्वतःस्फूर्त ही न हो। यदि शिक्षक ने अपने भीतर ही सतत जागरूक अवधान से यह न जान लिया हो कि जागरूकता अर्थात् चैतन्य / Awareness स्वरूपतः क्या है, तो उसके लिए यह संभव नहीं कि वह सहजस्फूर्त और स्वाभाविक रूप से नैतिकता / Ethics और शालीनता / Morality  से का आचरण दूसरों से संबंधित अपने व्यवहार में कर सके। क्योंकि बहुत संभव तो यही है कि  मन  नामक     वस्तु कैसे कार्य करती है इसकी समझ उसे न हो, किन्तु  उसने केवल यंत्रवत्  (Machine Learning)  की  रीति से केवल सामाजिक और औपचारिक आचरण  / protocol  से सभ्यता और शिष्टाचार के नियमों को सीख लिया हो। यह सब कुछ केवल स्मृति और अभ्यास से ही उसे अवगत हुआ हो। और संक्षेप में, इस प्रकार से  विनम्रता / being humble, क्या है, इसे जाने बिना ही वह  ज्ञान के भ्रम से ग्रस्त होकर और इस भ्रम के ज्ञान से अनभिज्ञ रहते हुए पाखंड का अभ्यस्त हो गया हो। स्वयं के ज्ञानी होने के भ्रम के दंभ ने ही उसे पाखंडी prudish बना दिया हो और उसे कल्पना या अनुमान तक न हो कि दुर्भाग्य से किस संकट में वह फँस गया है।

उपरोक्त प्रश्न श्रृंखला का प्रयोजन केवल इस ओर संकेत करने के लिए है कि तथाकथित शिक्षा, नैतिकता और सभ्यता के क्या अर्थ और मापदंड हो सकते हैं इस बारे में शायद ही कोई जागृति / Awareness  हममें हो।

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