Vectors
सचर राशियाँ
आठवीं बोर्ड की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद जब मेरा प्रवेश हाई-स्कूल में हुआ तो मैंने विज्ञान और उच्च गणित को मुख्य विषयों के रूप में चुना था। विज्ञान के अन्तर्गत भौतिक-विज्ञान और रसायन-विज्ञान। वह एक रोचक शुरुआत थी। इनके ही साथ साथ लिया था उच्च गणित (Higher Mathematics) - जिसमें अंकगणित, बीजगणित और रेखागणित विषयों का अध्ययन करना था। जीव-विज्ञान का मैं प्रायः मजाक उड़ाता था, क्योंकि जीव-विज्ञान या उच्च गणित विकल्प थे, भौतिक विज्ञान और रसायन विज्ञान के साथ गणित या जीव-विज्ञान में से किसी एक का चुनाव करना होता था। रसायन-विज्ञान और जीव-विज्ञान में कुछ वैसी ही समानता थी जैसी कि भौतिक-विज्ञान और गणित के बीच थी। कॉलेज में बी. एस्-सी. में प्रवेश लेने के बाद स्टेटिक्स और डायनेमिक्स का अध्ययन, तो गणित और भौतिक विज्ञान के "द्रव्य के गुणधर्म" / General Properties of Matter दोनों किसी हद तक समान थे। यह भी समझ में आया कि स्टेटिक्स और डायनेमिक्स में विशेष अंतर क्या होता है। सरल भाषा में - स्टेटिक्स में किसी भौतिक पिण्ड की स्थिर अवस्था में उस पर प्रयुक्त दो या अधिक बलों के सम्मिलित परिणाम का अध्ययन किया जाता है, और डायनेमिक्स में किसी पिण्ड के गतिशील अवस्था में उसके वेग velocity और त्वरण acceleration का। उसी दौरान मैंने यह खोज लिया था कि संस्कृत / हिन्दी के शब्द "वेगतर" से ही अंग्रेजी भाषा के शब्द "vector" की व्युत्पत्ति हुई होगी, क्योंकि अर्थ और उच्चारण की दृष्टि से दोनों में ही समानता दृष्टव्य है। संस्कृत भाषा में मेरी विशेष रुचि होने के कारण एकाएक और अनपेक्षित रूप से मुझमें गहरा विश्वास जाग उठा कि संस्कृत भाषा से सभी भाषाओं का अवश्य ही कोई गहरा संबंध है। "वेग" के साथ एफ. पी. एस. तथा एम. के. एस. - foot, pound, second एवं metre, kilogram, second -- pound, shilling pence में भी मुझे संस्कृत दिखाई देता था और मैं उन्हें inch, ounce से संबद्ध कर सकता था। pound - penc में मुझे संस्कृत के पणं और पणञ्च की ध्वनि सुनाई देती थी। inch और ounce संस्कृत भाषा के "अंश" के ही अपभ्रंश / व्युत्पन्न प्रतीत होते थे। इसका भी प्रमाण मेरे पास यही था कि अर्थ और उच्चारण की दृष्टि से भी उनमें अनायास ही समानता देखी जा सकती थी। उस समय भी मुझे अनुभव होता था कि एक भाषा से दूसरी किसी भी भाषा की उत्पत्ति होने का सिद्धान्त मूलतः भ्रामक ही था और सभी भाषाएँ स्वतंत्र रूप से जन्म लेने पर भी बाद में एक दूसरे को प्रभावित करती हैं। विज्ञान और गणित विषयों की स्कूली पढ़ाई तो चल ही रही थी और मेरे अपने दिमाग में एक समानांतर खोज और अनुसन्धान भी अपनी जगह अनायास। Vectors का अध्ययन करते समय गणित और भौतिक-विज्ञान दोनों ही दृष्टियों से जब मैंने उन्हें संयुक्त किए जाने के नियम :
Law of parallelogram
के बारे में जाना तो मेरे मन में इसे इसके विलोम-क्रम में होने की कल्पना जागृत हुई। अर्थात् किसी सचर राशि vector quantity को उसके असंख्य मौलिक अंशों को परस्पर योग के परिणाम / resultant की तरह से भी अभिव्यक्त किया जा सकता है और, Statics में Lami's Theorem इसका ही एक उपप्रमेय / corrolory है, ऐसा जान पड़ा। इस उपप्रमेय में तीन सचर राशियों के संतुलन की अवस्था के बारे में नियम स्थापित किया गया है :
When three vectors are applied on an object and the object rests in a stable position then
A/sin(a) = B/sin(b) = C/ sin(c),
Where A, B and C are the vectors and a, b and c are the angles subtended by them.
This state is called the state of the equilibrium of vectors.
अपने हाई स्कूल और कॉलेज के शिक्षा-काल में ही मुझे जिज्ञासा उठी कि क्या इस नियम या सिद्धान्त को मन नामक वस्तु पर भी प्रयुक्त किया जा सकता है? स्थूल दृष्टि से कहें तो चूँकि मन पर किसी भी एक समय पर एक साध एक से अधिक शक्तियाँ कार्य करती हैं और मन उन अनेक शक्तियों के सम्मिलित परिणाम / Resultant Vector से प्रभावित होकर कार्य किया करता है। यहाँ तक कि उन शक्तियों के संतुलित होने पर भी तदनुसार स्थिर या गतिशील भी हो सकता है।
श्रीमद्भगवद्गीता में सत्वगुण, रजोगुण तमोगुण आदि प्रकृति के तीन गुणों से तुलना करने और इन तीन गुणों को सचर राशि Vectors मानने पर और इस दृष्टि से भी "मन" के सन्दर्भ में अनुरूपता (analogy) है, यह भी प्रतीत हुआ।
पातञ्जल योगदर्शन में वर्णित निरोध परिणाम, एकाग्रता परिणाम और समाधि परिणाम से भी, और
त्रयमेकत्र संयमः।।
से भी, यह प्रश्न भी मन में आया : क्या उपरोक्त योगसूत्र में भी इस अनुरूपता / analogy को प्रयुक्त किया जा सकता है?
यह संपूर्ण चिन्तन मेरे मन में उस समय सक्रिय हुआ जब मैंने अनुभव किया कि जब एक ही समय पर और एक साथ दो सूक्ष्म शक्तियाँ "मन' पर कार्य कर रही थीं और मैं उनका केवल साक्षी था।
इसी वर्ष 2024 में, जंगल हाउस से 24 मार्च को इस स्थान पर मैं आया - जहाँ 30 वर्ष पहले भी रहता था तो एक अंकल से पहचान हुई थी, और "मन" में कौतूहल जागृत हुआ कि उनसे मिलूँ, उनकी वर्तमान स्थिति के बारे में पता करूँ। एक शक्ति मुझे उनके घर की दिशा में जाने के लिए प्रेरित कर रही थी तो वहीं दूसरी एक और शक्ति मुझे वहाँ जाने से रोक रही थी। दो-तीन बार उनके घर पर भी गया लेकिन इन दोनों शक्तियों की टकराहट के फलस्वरूप उनसे मिलना न हो पाया। मैं बस उन दो शक्तियों का परस्पर व्यवहार देख रहा था और इसलिए मेरा कोई आग्रह नहीं था, न तो इच्छा, और न ही इच्छा से किसी प्रकार का विरोध ही था।
तीन चार दिन इसी प्रकार से बीते। लेकिन एक दिन जब तीन चार मिनट तक उनके गेट पर खड़े रहने के बाद मैं लौट ही रहा था कि वे बाहर आते दिखलाई पड़े। तब भी एक शक्ति मुझसे वहाँ से लौट जाने का आग्रह कर रही थी, तो दूसरी मुझसे उनसे मिलने का। दूसरी शक्ति में अधिक बल था, अतः मैं पुनः गेट पर चला आया। उनकी बहुत अधिक उम्र हो जाने से अब वे प्रायः घर में ही और अधिकांश समय अकेले ही रहा करते हैं। केवल शाम के समय घर के पास स्थित पार्क तक जाकर, वहाँ पर कुछ समय बिताकर लौट आते हैं। जब मैंने उन्हें अपना नाम बताया तभी वे मुझे पहचान पाए। उनके साथ साथ मैं भी पार्क तक गया और फिर लौटते हुए उन्हें उनके घर तक ले जाकर छोड़ दिया, फिर अपने घर लौट आया।
उनसे मिलकर "मन" कुछ उदास हो गया था। उनकी पत्नी का स्वर्गवास हो चुका है, दोनों बेटे यूके, यूएसए में नौकरी करते हैं और वे जीवन-संध्या में लगभग बहुत ही एकाकी हैं।
इस पोस्ट को यहीं विराम दे रहा हूँ।
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