May 10, 2024

अभिव्यक्ति और जागृति

ज्ञान-सोपान

Manifestation

And

A w a k e n i n g 

सब कुछ सदा और सर्वत्र ही चेतना से ही उद्भूत होता है, सदा का अर्थ है - काल / समय, और सर्वत्र का अर्थ है - स्थान । चेतना (awareness) इस प्रकार से काल और स्थान के रूप में अभिव्यक्त होकर दृश्य जगत तथा इस दृश्य जगत को देनेवाली असंख्य जड और चेतन वस्तुओं में अप्रकट रहकर अव्यक्त और प्रकट रूप में व्यक्त होती है। व्यक्त अर्थात् व्यक्ति जो चेतना का चेतन प्रकार होता है, जबकि अव्यक्त अर्थात् जड (जगत्) जिसमें चेतना  सुप्त रहकर भी अनवरत अपना कार्य करती रहती है।

जड को कोई चेतन ही जानता है, जबकि जड-चेतन को सदा और सर्वत्र विद्यमान चेतना (awareness) में ही जाना जाता है। 'जानना' अतः दो रूपों में होता है। चेतना जब व्यक्ति के रूप में देहबद्ध चेतन होती है, और उसमें जब "मैं देह हूँ" यह भाव विद्यमान ही नहीं होता। तब वह अव्यक्त होती है यह कहना भी गलत होगा। किन्तु तब वह सुप्त, स्वप्न या जागृत अर्थात् व्यक्त भी नहीं होती।

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