April 11, 2023

कोई चारा नहीं दुआ के सिवा!

उर्दू / हिन्दवी 

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OXFORD HINDI-ENGLISH DICTIONARY

के अनुसार "दुआ" शब्द उर्दू / हिन्दवी भाषा में (अगर) अरबी भाषा से आया है, तो इसका तात्पर्य है -- किसी दूसरे के लिए अल्लाह से कुछ माँगना। वैसे जब किसी और के लिए दुआ की जाती है तो वह दूसरा भी कहाँ रह जाता है!

वैसे मैं नहीं जानता कि "खुदा" शब्द का अरबी भाषा में स्थान क्या है, इसलिए इस बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता।

किन्तु संस्कृत भाषा के आधार से यह कहा जा सकता है कि उर्दू शब्द की उत्पत्ति उर्द् / ऊर्द् धातु से हुई होगी जिसका एक और रूप है कूर्द् अर्थात् उछलना। वानराः कूर्दन्ति का अर्थ होगा : वानर कूद रहे हैं। उर्दू भाषा का अरबी फ़ारसी नाम है : हिन्दवी। किसी कारणवश, शायद मुग़लों और दूसरे विदेशी आक्रान्ताओं के द्वारा भारत पर शासन किए जाने के समय में उर्दू / हिन्दवी को अरबी-फ़ारसी मिश्रित लिपि में लिखा जाने लगा। इसे यूँ भी समझा जा सकता है कि "अंक" अर्थात् "संख्या" के लिए अरबी / फ़ारसी / उर्दू में "हिन्दसा" शब्द प्रयुक्त होता है। यह अनुमान करना भी उचित होगा कि उर्दू के अंक भी देवनागरी लिपि के ही सज्ञात / सजात / cognate / अपभ्रंश हैं :

१ २ ३ ४ के लिए --- ١ ۲ ٣ ۴  आदि से इसकी तुलना करने पर भी ऐसा ही प्रतीत होता है । ० ९ ८ ७ ६ ५ के लिए भी जो अंक प्रयुक्त होते हैं वे भी इसी प्रकार जान पड़ते हैं। शून्य ० के लिए भी इसी प्रकार से . का प्रयोग होता है।

ताश के पत्तों का क्रम "दुआ" 2 से ही शुरू होता है, "इक्का" अर्थात्  Ace / A का स्थान बादशाह से भी ऊपर होता है। "बादशाह " शब्द की व्युत्पत्ति देखें तो यह शब्द भी संस्कृत के पाद+शास् से ही व्युत्पन्न है, ऐसा कहा जा सकता है। परंपरा की दृष्टि से देखें तो इसके उदाहरण के रूप में इस तरह माना जा सकता है कि भगवान् श्रीराम ने जब भरत के द्वारा अयोध्या लौटने और वहाँ शासन करने के भरत के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया, तो भरत ने भगवान् श्रीराम की चरण-पादुकाओं को  ही अयोध्या के राजसिंहासन पर स्थापित कर दिया और उसे ही अयोध्या का शासक मानकर स्वयं को केवल राजा का प्रतिनिधि भर माना। इसी का एक उदाहरण छत्रपति शिवाजी महाराज ने प्रस्तुत किया, जब उन्होंने अपने गुरु समर्थ श्री रामदास महाराज को अपना राज्य सौंप देने के बाद उनकी खड़ाऊँ मराठा राज्य की राजगद्दी पर स्थापित कर दी, जिसे "पादशाही" कहा गया।  अरबी भाषा में प और ब के लिए एक ही वर्ण प्रयुक्त होता है, और इससे भी पुष्टि होती है कि "बादशाह" की व्युत्पत्ति संस्कृत मूल पाद+शास् से ही हुई है।

उपरोक्त शीर्षक जिस शे'र से लिया गया है वह इस प्रकार है :

कोई चारा नहीं, दुआ के सिवा। 

कोई सुनता नहीं, खुदा के सिवा!

अब इसे आप कैसे समझना चाहेंगे, आपको ही तय करना है!

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