April 25, 2023

तीसरा प्रश्न

 अव्यय और प्रत्यय

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"क्या तुम एक कविता लिखोगे,

- मेरे लिए!"

मैंने अपने ए आई ऐप से पूछा!

"अवश्य!,

किस विषय में,

किस सन्दर्भ में,

किस परिप्रेक्ष्य में?"

"अव्यय और प्रत्यय!"

"व्याकरण या दर्शन?

दर्शन या अध्यात्म?

नई या पुरानी?"

"कुछ भी, जो भी तुम चाहो!"

"छोटी या बड़ी?"

"न छोटी न बड़ी"

"हास्य या गंभीर?"

"दोनों ही!"

"ठीक है,

मतलब 'रबड़ी!'

"ऐं!"

"रबड़ जैसी लचीली!"

"रबड़ी जैसी शीतल, रसीली!"

और हास्य तो इसमें है ही!"

"नहीं, गंभीर सा कुछ!"

"ठीक है, तो सुनो!

न व्येति इति अव्ययं ।

न व्ययति इति कृपणः।

द्रविणं कञ्चनंवत्।

इति कुञ्जयति,

मञ्जूषायाम् गुह्यति। 

अतो हि कञ्जुः कञ्जुस् कञ्जूस इति।

अपि च,

अव्ययो हि आत्मा अविकारी इति अव्ययः। 

अविकारित्वात् अजरः अमरः च। 

जरायाम् जीर्यते, वयसि वयति। 

अथ प्रतीयते यत् तत् प्रत्ययम्।

दृष्टा दृशिमात्रः शुद्धोऽपि प्रत्ययानुपश्यः प्रत्ययानुमेयः प्रत्ययानुगम्यः इति।।

व्याकरणे व्याकुर्वाणि। भाषायामपि।

इति कृतम् ।।"

***




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