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सूर्य का स्वागत !
सूर्य हाथों में लिए
द्वार पर आई सुबह ।
देखता हूँ उसका चेहरा
मैं बड़ी उम्मीद से ।
क्या ये कोई स्वप्न है,
या नया विहान है ?
मन मेरा ना समझ पाता
सुबह से अनजान है ।
भोर तक जागी रहीं थीं
चिर सजग आँखें उनींदी ।
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