October 21, 2021

क्या यह सच है?

कविता : 21-10-2021

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धीरे धीरे बदल जाया करता है, सब कुछ,

समय सभी का बदल जाया करता है, कुछ,

क्या कुछ बदल जाने से, समय बदलता है, 

या समय बदलने से ही सब बदल जाता है,

क्या हम किसी एक को भी बदल सकते हैं, 

या, क्या हम खुद भी कभी बदल सकते हैं,

समय बदल जाए तो हमको पता चलेगा, 

यदि कुछ और बदल भी जाए, पता चलेगा, 

लेकिन जो हम खुद ही अगर बदल जाएँ तो,

कैसे हमको तब फिर इसका पता चलेगा!

शायद यह बातें बिलकुल ही बेमानी हैं, 

किसी समय सब ही चीजें बदल जानी हैं,

लेकिन क्या हम बदल जाते हैं, उनके साथ,

क्या फिर समय बदल जाता है, उनके साथ,

फिर वह क्या है, जो नहीं कभी, बदलता है, 

उसका क्या, कभी पता, किसी को चलता है?

लेकिन क्या वह ऐसा कुछ, नहीं हुआ करता है? 

फिर क्यों कभी किसी को पता नहीं चलता है!

सोचते हुए, सोच भी तो, बदल जाता है, 

क्या वह भी, जो यह सब सोचा करता है?

अगर वह खुद ही बदल जाए, तो क्या होगा?

क्या अपने बदल जाने का, उसे पता होगा?

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