कविता : 19-10-2021
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जब तुममें कुछ ऐसा होगा,
मुलाक़ातें तो होंगी ही!
बातें तो लोग करेंंगे ही,
हाँ बातें तो होंगी ही!
तुम कैसे रोक सकोगे,
लोगों को बातें करने से,
कैसे रोक सकोगे उनको,
घातें-प्रतिघातें करने से,
तुम भी तो यही चाहते हो,
फिर टकराहटें भी होंगी ही!
बातें तो लोग करेंगे ही,
हाँ, बातें तो होंगी ही!
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