कविता / १६-०६-२०२४
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अतीत भी नहीं होता,
भविष्य भी नहीं होता,
तब संसार भी नहीं होता,
न जन्म होता है, न मृत्यु,
न भूख, न प्यास,
न जरा, न व्याधि,
न स्मृति, न अनुभव,
न परिचय, न संबंध,
न प्रतिबन्ध, न अनुबन्ध।
न वर्तमान, न सुख,
न दुःख, न संसार।
जब तुम नहीं होते!
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