January 05, 2022

लेकिन पहले

कविता / 05-01-2021

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मेरी आँखों से दुनिया देखो, 

लेकिन पहले मुझको देखो!

अपनी आँखों से दुनिया देखो, 

लेकन पहले खुद को देखो!

वह, जो यह दुनिया दिखती है,

जिसको यह दुनिया दिखती है,

दोनों हैं एक या अलग अलग, 

जो देखे, जिसको दिखती है?!

यह प्रश्न है बड़ा ही पेंचीदा,

लेकिन पहले इसको समझो,

फिर बोलो, है क्या यह दुनिया,

फिर बोलो, किसको दिखती है!

यह मन जो कहता है, दुनिया,

यह दुनिया जो मन कहती है, 

क्या यह है कुछ, अलग तुमसे,

जो दुनिया, मन को दिखती है!

मन दुनिया है, या दुनिया मन, 

तुम दुनिया हो, या तुम हो मन,

यह प्रश्न बड़ा ही उलझा है,

पहले सुलझाओ, यह उलझन!

जब यह मन नहीं होता है, 

क्या दुनिया तब होती है!

क्या तब यह मन भी होता है, 

दुनिया जब कहीं नहीं होती है!

तो क्या मन ही दुनिया है,

तो क्या दुनिया ही मन है,

फिर से देखो, तुम खुद को, 

दुनिया है, या कि मन है! 

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