January 01, 2022

01-01-2022

स्वागत नववर्ष! 

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तो, आज नववर्ष भी आ गया है, 

या, हम ही आ गये हैं, नववर्ष में!

न हमें पता है कि वर्ष क्या है,

न हमें पता है कि हम क्या हैं!

एक अज्ञात से दूसरे अज्ञात को,

जोड़कर लगता है, कुछ नया है!

जैसे बीत गया है, वह वर्ष पिछला,

यह नववर्ष भी बीत जाएगा अगला!

हम क्या हैं, यदि हमें न भी हो पता,

पर ये तय है कि हम न बीतेंगे कभी!

फिर हमारे होने का मतलब क्या है, 

क्यों न यह पता लगा लें हम अभी ही,

क्योंकि नववर्ष आएँगे, चले जाएँगे, 

रोज ही कोई नया एक दिन आएगा, 

मगर रोज ही वह बीत भी तो जाएगा,

पर ये तय है कि हम न बीतेंगे कभी!

तो जब तक कि यह न लगा लें पता,

कि हमारे होने का मक़सद क्या है,

तो जब तक कि यह न लगा लें पता, 

कि हमारे होने का मतलब क्या है,

कि हम अकेले हैं, या हैं भीड़ बेतरतीब,

कितने हैं दूर हम अपने से या कि हैं क़रीब!

क्या हम एक हैं अनेक हैं, या हैं बेवजूद,

क्यों न हम लगा लें सच्चाई का पता! 

वरना हर साल दोहराया करेगा खुद को, 

हम कभी भी न जान सकेंगे खुद को!

तमाम दुनिया जानने की ज़रूरत क्या है?

दुनिया दुरुस्त करने की ज़रूरत क्या है? 

न जान सके, कर सके दुरुस्त खुद को,

फिर आखिर को भी कभी मिलना क्या है?

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नववर्ष की शुभकामनाएँ! 










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