July 12, 2017

वह

आज की कविता
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वह
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वह पुरुष थी,
वह स्त्री था,
दोनों ही रोक न सके,
खुद को,
एक-दूसरे के प्रति,
आकर्षित होने से ।  
क्योंकि दोनों सजातीय थे,
आकर्षण प्रीति थी,
प्रीति आकर्षण था,
और उनकी सन्तानें भी,
...  कोई पुरुष थी,
कोई स्त्री था,
पर काल-क्रम से,
लिंग-भेद महत्वपूर्ण हो गया,
अब वह पुरुष था,
और वह स्त्री थी,
आकर्षण पुरुष था,
प्रीति स्त्री थी,
सब-कुछ ठीक हो गया,
सब-कुछ अराजक !
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©

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