July 12, 2017

जय बाबा अमरनाथ!

श्रावण-पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ !
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सावन के झूले पड़े,
झूला झूलें सखियाँ,
सावन की फ़ुहारें पड़ीं,
सावन सी भीगी अँखियाँ,
कावड़ उठाये कावड़हार,
चले गंगा तट हरद्वार,
गंगा कावड़ में उठाये,
भोले के मन्दिर को धाये,
गंगा से भोले का मिलना,
सिरजता आनंद अपार !
भोले तो बैठे अचल-अटल,
बैठे हुए ध्यानमग्न,
गंगा तरल चञ्चल,
बूझे न कोई भी पथ,
सावन दिलाये याद,
भोले को गंगा की,
सावन दिलाये याद,
गंगा को भोले की,
सावन दिलाये याद,
सखियों को झूले की,
झूला दिलाये याद,
कावड़ की, भोले की,
कावड़ उठाये कावड़हार,
चले गंगातट हरद्वार,
सावन के झूले पड़े ...
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