पार्टी-टाईम ...
(कविता)
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उस पार्टी में,
बच्चे,
उल्लास ढूँढ रहे थे,
उन्हें मिल गया था,
युवा,
उत्तेजनाएँ ढूँढ रहे थे,
उन्हें मिल रहीं थी,
पिता,
नहीं जानते थे कि वे क्या तलाश रहे थे,
वे,
अन्यमनस्क से,
कोशिश कर रहे थे,
एक 'सोशल फंक्शन' में,
प्रसन्न दिखने की,
और पार्टी की व्यवस्था करने में संलग्न माँ,
तल्लीन थी,
-खुश और मगन,
पुलकित और प्रसन्न,
कर रही थी इंतज़ार अतिथियों का,
बाँट रही थी दुलार सबको,
हलाँकि 'सुख' को वहाँ निमंत्रित नहीं किया गया था,
(उसे कोई कहाँ ढूँढ रहा था !?)
लेकिन वह बिन बुलाए ही वहाँ चला आया था,
अनायास,
सौन्दर्य का हाथ थामकर,
मुस्कुरा रहा था,
माँ की आँखों में,
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October 31, 2009
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सुख की चाहत, सुख की प्राप्ति के अलग अलग स्तर और आयाम हैं।
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति...
Beautiful portrayal of today's parties from the point of views of different individuals.
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