May 09, 2025

Jungle-house Scrolls.

অরণ্যের দিবস রাত্রি 

इससे पहले इस ब्लॉग में मैंने सिर्फ एक ही  বাংলা  पोस्ट लिखा था।

यह हिन्दी पोस्ट भी केवल इसलिए लिख रहा हूँ क्योंकि "जंगल-हाउस" से मुझे  বাংলা के विश्व-प्रसिद्ध लेखक, फिल्म निर्माता, निर्देशक सत्यजित रे की फिल्म :

 অরণ্যের দিবস রাত্রি

की याद आई।

सत्यजित रे

की इस नाम की फिल्म देखने का सौभाग्य तो मुझे नहीं मिला किन्तु ऊपर दी गई लिंक पर मुझे इस बारे में

विख्यात अभिनेत्री सिमि ग्रेवाल

और सत्यजित रे की इस फिल्म के निर्माण के समय के बारे में रोचक जानकारी मिली।

मैं दोनों का ही प्रशंसक हूँ। 

बहुत पहले मैंने उनकी एक पुस्तक :

"फेलू दा और अन्य कहानियाँ"

भी पढ़ी थी।

इसी तरह  বাংলা  भाषा के अनेक लेखक जैसे कि :

बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय, शरत्-चन्द्र चट्टोपाध्याय, विमल मित्र, समरेश बसु, सुनील गंगोपाध्याय (प्रेम नहीं स्नेह) आदि भी मेरे प्रिय लेखक रहे हैं।

निश्चित ही   বাংলা  भाषा, संगीत और फिल्मों में भी कला, साहित्य, गल्प और नाटक के अनेक तत्व हैं जो जीवन और विशेष रूप से सामाजिक जीवन के अनेक रंगों को कुशलता से चित्रित करते हैं। और भावनाओं की जो गहराई उनमें है वह भी उतनी ही आवेगपूर्ण है, किन्तु यह सब किसी मर्यादा में बद्ध होता है।

इस पोस्ट को लिखने से जरा पहले तक भी मुझे खयाल नहीं था कि एक बार फिर मेरा ध्यान বাংলা संस्कृति की ओर आकर्षित होगा।

भद्रलोक से पुनः जुड़ना चाहूँगा!

*** 


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