व्यथा-कथा, कथा-व्यथा!
कुछ भी!!
कथा कह कह कर थका वाचक,
तथा कह कह कर कथावाचक!
पुनः पुनः मांग कर यथा याचक,
व्यथा सह सह कर तथा याचक!
दौड़ दौड़ कर थका यथा धावक,
हाँफता हुआ रुका यथा धावक!
कथा कह कह कर यथा श्रावक,
अग्नि सा जलता रहा यथा पावक!
तान भरता रहा यूँ यथा गायक,
अभिनय करता रहा यथा नायक!
सतत सुख देता रहा सुखदायक,
सतत दुःख देता रहा दुःखदायक!
जिसने जो चाहा, उसे वो मिल गया,
जो कभी भी बन पाया इस लायक!
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