केवटग्राम : 2016
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क्या जीवन की घटनाएँ किसी तय चक्र में अपने आपको पुनः पुनः दुहराती हैं! शायद किसी हद तक व्यक्ति विशेष के संदर्भ में ऐसा होता होगा!
17 मार्च 2016 जब मैं L/161, महाशक्तिनगर में रहा करता था। आज भी मेरे पुराने पोस्ट्स में वह पता देखा जा सकता है। वहीं 2009 में इस ब्लॉग से ब्लॉग लिखना शुरू किया था।
तय हुआ कि अब यह स्थान छोड़ना है। अपने एक मित्र से निवेदन किया कि मैं नर्मदा तट पर जाकर कहीं रहने का इच्छुक हूँ। और 19 मार्च 2016 के दिन उपरोक्त पते पर उन्होंने एक 407 वाहन भेज दिया। जगह थी उसमें कि मेरा लगभग पूरा सामान उस पर चढ़ा दिया गया। और उसी रात्रि लगभग साढे़ नौ बजे मैं केवटग्राम स्थित अपने नए आवास पर पहुँचा। इन्दौर से खंडवा मार्ग पर स्थित उस स्थान पर, जहाँ मैं 5 अगस्त 2016 तक रहा। 5 अगस्त 2016 की शाम मैं देवास पहुँचा। पूरे तीन वर्ष और 3 माह तक मैं वहीं रहा।
2019 के अंत से 2023 के आरंभ तक कहीं और!
फिर कुछ समय बाद नर्मदा तट पर रहने की तीव्र इच्छा हुई तो यहाँ 5 अगस्त 2024 की सुबह पहुँचा। और याद आया यहाँ सब वैसा ही है जैसा केवटग्राम में था!
क्या यह संयोग है या जीवन स्वयं ही अपने आपको इस तरह समय समय पर दुहराता है और हमारा ध्यान शायद ही कभी इस सच्चाई पर जाता है!
विशेष यह कि जैसी स्थितियाँ और वातावरण केवटग्राम में और आसपास था, बिल्कुल वैसी ही स्थितियाँ और वातावरण आजकल यहाँ इस जंगल हाउस में अनुभव हो रहा है। नर्मदा नदी के तट से एक दो मिनट की दूरी पर स्थित यह आवास, आसपास की शान्ति, निःस्तब्धता। सब कुछ वैसा ही। कोई सुनिश्चित दिनचर्या नहीं। जब जो मन हो कर सकते हैं। जब चाहो आराम करो, जब चाहे उठो या सो जाओ, नहाओ या मत नहाओ। किसी से शायद ही कभी मिलना होता है। नदी की ओर जानेवाले मार्ग पर स्थित दुकानों से सभी आवश्यक वस्तुएँ मिल जाती हैं। सुबह चार बजे नींद खुल जाती है। आज भी रोज की तरह जल्दी उठ गया।
मोबाइल पर यू-ट्यूब पर भारत और पाकिस्तान के बीच होनेवाले संभावित युद्ध के बारे में लोगों के अनुमान और भयों के बारे में सुनता रहा।
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