प्रयागराज
--
कठिन कुमारग पथ कुरंग को,
संग कुसंग विसंग असंग को,
नहि पदचिह्न नभ विहंग को,
चिह्नविहीन तरंग उमंग को!
चित्रविचित्र रूपरंग को,
निराकार साकार अनंग को,
अखंड अनंत कवि अभंग को,
पावन सरल पवित्र गंग को!
***
प्रयागराज
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कठिन कुमारग पथ कुरंग को,
संग कुसंग विसंग असंग को,
नहि पदचिह्न नभ विहंग को,
चिह्नविहीन तरंग उमंग को!
चित्रविचित्र रूपरंग को,
निराकार साकार अनंग को,
अखंड अनंत कवि अभंग को,
पावन सरल पवित्र गंग को!
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