डॉ. आरिफ़ मोहम्मद खान
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क़िश्ती भी नहीं बदली, दरिया भी नहीं बदला,
हम डूबनेवालों का जज़्बा भी नहीं बदला !
है शौक़े-सफ़र ऐसा, इक उम्र हुई हमने,
मंज़िल भी नहीं पाई, रस्ता भी नहीं बदला,
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सूर्य-सिद्धान्त, काफ़िराना-उलूम , कौटिल्य-बुक्स
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क़िश्ती भी नहीं बदली, दरिया भी नहीं बदला,
हम डूबनेवालों का जज़्बा भी नहीं बदला !
है शौक़े-सफ़र ऐसा, इक उम्र हुई हमने,
मंज़िल भी नहीं पाई, रस्ता भी नहीं बदला,
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सूर्य-सिद्धान्त, काफ़िराना-उलूम , कौटिल्य-बुक्स
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