March 08, 2015

आज की कविता

आज की कविता
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अनकिया का किया हो जाना,
अनकिया से किया हो जाना,
किया का पुनः अनकिया हो जाना,
अनकिया से किया हो जाना ...
अकर्म में कर्म देखता हूँ मैं,
कर्म में अकर्म देखता हूँ मैं,
कृष्ण जो कह रहे हैं गीता में,
धर्म का मर्म देखता हूँ मैं .
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© Vinay Kumar Vaidya,
(vinayvaidya111@gmail.com)

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