March 11, 2015

आज की कविता

© Vinay Kumar Vaidya,
(vinayvaidya111@gmail.com)
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आज की कविता
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दिव्य प्रभा वह !
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वह आती पथ पर,
जैसे कोई दिव्य प्रभा,
आसमान से मानो उतरी
जैसे कोई रश्मि-रेखा.
स्तब्ध चकित करती,
विस्मित वह सबको,
ठिठके खड़े देखते अपलक,
जन सब उसको.
पल दो पल में,
युग युग बीत,
गुज़र जाते हैं,
और प्रशंसक,
स्मृतियों में उसे,
संजो लेते हैं....
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