October 18, 2014

आज की कविता : क्यूँ?

क्यूँ?
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एकता के लिए,
नारायण को समर्पित यह रचना,
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दिल के तारों को छू गया कोई,
छेड़कर दर्द क्यों गया कोई,
लौटकर यादें ही आया करती हैं,
याद में क्यों उभर आया कोई,
दोस्त हाँ दोस्त हैं सभी अपने,
फिर भी होता है क्यों बिरला कोई,
जिसका मिलना था सिर्फ़ इक सपना,
मिल के वो क्यूँ बिछड़ गया कोई,
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