संबंध नहीं, परिचय / पहचान
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के सौजन्य से पता चला कि अंग्रेजी शब्द Fillial का अर्थ है -पुत्रवत् स्नेह!
उम्र में मुझसे छोटे मेरे ऐसे तीन दिवंगत मित्र थे, जिनसे मैं कुछ इसी तरह की डोर से बँधा था। उनसे मित्रता का कारण अलग अलग था और जो मुझे, और शायद उन्हें भी बहुत स्पष्ट नहीं था।
उनमें से प्रथम थे, जिनका एकमात्र लक्ष्य था समाज में आध्यात्मिक गुरु की तरह से अपनी पहचान स्थापित करना।
दूसरे वे, जिनका एकमात्र तय लक्ष्य संभवतः यह था कि उन्हें एक सफल, प्रतिष्ठित, जाने-माने और विश्वविख्यात व्यक्ति की तरह जाना जाए।
इन दोनों की अपनी भौतिक और सांसारिक आकांक्षाएँ भी थीं जो संभवतः पूर्ण हुईं होंगी, ऐसा भी लगता है।
पहले मित्र तो आजीवन अविवाहित रहे, दूसरे मित्र का विवाह हुआ किन्तु संतान नहीं थी।
तीसरे मित्र विवाहित थे और उनके दो पुत्र भी हैं। प्रकटतः तो वे अध्यात्म में रुचि होने से मुझसे जुड़े थे।
तीनों ही किसी समय किसी प्रकार की सार्वजनिक सेवा (service) में थे। पहले मित्र ने अनुकूल अवसर और समय आने पर स्वेच्छा से सेवा से अवकाश ले लिया था और संन्यासी की तरह रहने लगे थे। 65 वर्ष की उम्र के आसपास, स्वास्थ्य ठीक न होने से उनका देहावसान हो गया।
दूसरे और तीसरे मित्र का सेवा में रहते हुए आकस्मिक देहावसान हो गया।
कभी कभी यह सोचकर आश्चर्य होता है कि हर व्यक्ति के जीवन में कौन किसलिए आता है, कब तक रहता है और फिर कब संसार छोड़कर चला जाता है!
किन्तु अपने आपके जीवित रहने तक अपनी स्मृतियों में तो वह अवश्य ही रह जाता है!
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