सबमें राम समाया!
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क्या राम के या किसी के भी मन्दिर को तोड़कर उस स्थान पर किसी और का मन्दिर या पूजागृह खड़ा किया जा सकता है? चूँकि सभी कुछ राम ही है इसलिए किसी मन्दिर को तोड़ने से राम को कोई अन्तर नहीं पड़ता। किन्तु जो इस मानसिकता से ग्रस्त है कि किसी मन्दिर को तोड़ने से उसका ईश्वर, अल्लाह या God उस पर प्रसन्न होगा वह राम, ईश्वर, अल्लाह और God को एक दूसरे से अलग मानता है। इससे भी राम, ईश्वर, अल्लाह या God को कोई अन्तर पड़ता होगा ऐसा नहीं लगता।
फिर दूसरे कुछ लोग भी हैं, जो कि एक मन्दिर को ढहाकर उस जगह पर बने किसी दूसरे धर्मस्थल को ढहाने को पवित्र पुण्य-कार्य समझते हैं।
क्या राम को जाने-समझे बिना ऐसे विचित्र कार्य से किसी का कुछ भला हो सकता है?
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