प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माँही
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हनुमान जी ने प्रभु श्रीराम की मुद्रिका (अनामिका में पहने जानेवाली अँगूठी) मुख में रखी और जलधि को लांघ गए इसमें आश्चर्य की क्या बात है?
जब मन (हनुमान) राम नाम रूपी मुद्रा को मुख में धारण कर लेता है तो जल (मन) तथा उसके आगार (धि) अर्थात् बुद्धि का अतिक्रमण कर लेता है।
यः बुद्धेः परतस्तु सः ....
[इन्द्रियाणि पराण्याहुरिन्द्रियेभ्यः परं मनः।
मनसस्तु परा बुद्धिर्यो बुद्धेः परतस्तु सः।।42
एवं बुद्धेः परं बुद्ध्वा संस्तभ्यात्मानमात्मना।
जहि शत्रुं महाबाहो कामरूपं दुरासदम्।।43
-गीता अध्याय 3 ]
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हनुमान जी ने प्रभु श्रीराम की मुद्रिका (अनामिका में पहने जानेवाली अँगूठी) मुख में रखी और जलधि को लांघ गए इसमें आश्चर्य की क्या बात है?
जब मन (हनुमान) राम नाम रूपी मुद्रा को मुख में धारण कर लेता है तो जल (मन) तथा उसके आगार (धि) अर्थात् बुद्धि का अतिक्रमण कर लेता है।
यः बुद्धेः परतस्तु सः ....
[इन्द्रियाणि पराण्याहुरिन्द्रियेभ्यः परं मनः।
मनसस्तु परा बुद्धिर्यो बुद्धेः परतस्तु सः।।42
एवं बुद्धेः परं बुद्ध्वा संस्तभ्यात्मानमात्मना।
जहि शत्रुं महाबाहो कामरूपं दुरासदम्।।43
-गीता अध्याय 3 ]
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