December 22, 2019

आरंभ / आरम्भ

20 जनवरी 2009 
के दिन यह ब्लॉग आरम्भ किया था।
इसे आरंभ करते समय कल्पना नहीं थी कि दस वर्षों से अधिक तक यह क्रम चलता रहेगा।
आभार गूगल का !
नेट मेरे लिए कोई व्यावसायिक आवश्यकता नहीं है, इसलिए तब थोड़ी कोफ़्त होती है जब पूरे नेट को शुद्धतः व्यवसायपरक होता हुआ देखता हूँ। इस पूरे दशक में फेसबुक और ट्विटर पर भी कुछ वर्षों तक अभिव्यक्ति देता रहा। राजनीति, कला, धर्म, संस्कृति, सभ्यता, साहित्य को इस हद तक व्यवसायपरक और व्यवसाय-केंद्रित बना दिया गया है कि जो व्यक्ति केवल सृजनात्मक स्फूर्ति से प्रेरित होने से कुछ रचता है, अगर वह साधनहीन हो; -जिसकी रुचि पैसे कमाने के लिए ज़रा भी न हो तो इस धन-केन्द्रित सभ्यता, समाज, संस्कृति, व्यवस्था में उसके लिए सूचना के स्रोतों तक पहुँचना भी कठिन हो जाता है।
मुझे कभी कहीं से सहायता मिली तो ऐसे लोगों से जिनके बारे में मुझे कुछ पता तक नहीं था।
इसलिए बिना किसी स्वार्थ के नेट पर कार्य करते रह पाना संभव हो सका।
दूसरी ओर साधन-संपन्न वर्ग के वे लोग हैं चाहे राजनीति, फिल्मोद्योग, साहित्य आदि से जुड़े हों, या किसी सामाजिक सरोकार से, जिनके अनेक महान लक्ष्य, महत्वाकाँक्षाएँ, ध्येय, उद्देश्य होते हैं।
उनसे न तो मेरी स्पर्धा है न उनके बारे में मेरी कोई राय है।
बस इतना ज़रूर लगता है कि लिखता रहूँ, चाहे कोई इसे पढ़े या न पढ़े।
जो इसे पसंद न करेगा, उससे ऐसा आग्रह या अपेक्षा भी नहीं है।
शायद और कुछ समय (जब तक सुविधा है!) ब्लॉग लिखे जा सकते हैं !
मेरे अन्य एक ब्लॉग 'स्वाध्याय' की पाठक-संख्या वैसे तो बढ़ती जा रही है किन्तु मैं नहीं जानता कि वह कब तक रहेगा। क्योंकि लिखने के प्रति उत्साह धीरे धीरे कम होता जा रहा है।   
-- 
     

No comments:

Post a Comment