April 15, 2019

विडम्बनाएँ,

प्रवंचनाएँ
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व्यस्तताएँ,
राजनीति की !
त्रस्तताएँ,
नीति-अनीति की !
अर्थहीन,
व्यर्थताएँ ,
निरर्थकताएँ,
प्रतीति की !
दौड़ते रहते हैं,
छूट न जाए कुछ !
ढूँढते रहते हैं,
मिल जाए कुछ!
समझौते,
बनते-बिगड़ते !
मसौदे,
सुलझते-उलझते!
सपने,
टूटते-सँवरते !
विडम्बनाएँ,
प्रीति की !
प्रवंचनाएँ,
रीति की !
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