बहुत दिनों बाद सोचा यूँ,
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सपनों की दुनिया,
दुनिया के सपने,
दुष्चक्र कहाँ से,
होता है प्रारंभ,
और क्या होता है,
कहीं अन्त इसका?
वो कौन है कि जो,
देखता है सपने?
'मैं' और 'हम' जैसे?
क्या 'मैं' और 'हम'
नहीं है जैसे आईना?
वो सपना कि जन्मा 'मैं',
ये सपना कि मर जाऊँगा,
क्या देखते हैं 'हम' ?
वो सपना कि जन्मे 'हम',
ये सपना कि मर जाएँगे,
क्या देखता हूँ 'मैं' ?
ये अपना बँट जाना,
'मैं' और 'हम' की तरह,
यह भी क्या सपना ही नहीं?
वो कौन है कि जो,
देखता है सपने?
उसकी शक्ल कैसे देखें?
उसकी शक्ल कैसे देखूँ?
सवाल है बहुत ही अजीब !
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सपनों की दुनिया,
दुनिया के सपने,
दुष्चक्र कहाँ से,
होता है प्रारंभ,
और क्या होता है,
कहीं अन्त इसका?
वो कौन है कि जो,
देखता है सपने?
'मैं' और 'हम' जैसे?
क्या 'मैं' और 'हम'
नहीं है जैसे आईना?
वो सपना कि जन्मा 'मैं',
ये सपना कि मर जाऊँगा,
क्या देखते हैं 'हम' ?
वो सपना कि जन्मे 'हम',
ये सपना कि मर जाएँगे,
क्या देखता हूँ 'मैं' ?
ये अपना बँट जाना,
'मैं' और 'हम' की तरह,
यह भी क्या सपना ही नहीं?
वो कौन है कि जो,
देखता है सपने?
उसकी शक्ल कैसे देखें?
उसकी शक्ल कैसे देखूँ?
सवाल है बहुत ही अजीब !
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