September 30, 2017

आज की कविता / कलम

आज की कविता
कलम
खेतों में हल की तरह कभी,
युद्ध में पहल की तरह कभी,
कभी ये कलम रुकती नहीं,
कभी ये कलम चलती नहीं,
बियाबान पथ पर निर्जन में,
कभी राजपथ संकुल-जन में,
कभी ये कलम रुकती नहीं,
कभी ये कलम चलती नहीं,
खड़ी चट्टान पर हाँफ़ती भी,
गहरी खाईं में उतरती भी,
कभी ये कलम रुकती नहीं,
कभी ये कलम चलती नहीं,
जमीं पर कभी घोर जंगल में,
कठिन धूप में भी मरुस्थल में
बीहड़ों में या दलदल में,
कभी ये कलम रुकती नहीं,
कभी ये कलम चलती नहीं,
तलवार सी या पतवार सी,
कभी शत्रुओं पर कभी नाव पर,
कभी ये कलम रुकती नहीं,
कभी ये कलम चलती नहीं,
कलमकार तुम धैर्य खोना नहीं,
विजय में भी उन्मत्त होना नहीं,
पराजय मिले भी तो रोना नहीं,
कभी ये कलम रुकती नहीं,
कभी ये कलम चलती नहीं,
कभी आपकी महाग्रंथ रचती,
कभी हमारी भी तुच्छ लेखनी
कभी ये कलम रुकती नहीं,
कभी ये कलम चलती नहीं,
 -- 

No comments:

Post a Comment