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कितने रावण!
एक ये रावण कि जिसकी देह पर हैं चीनी पटाखे,
एक वो दश-रूप लेकर बन गया आतंकवादी,
अपने तन पर लपेटकर बम-ग्रेनेड विस्फोटक,
करता बाज़ारों चौराहों पर स्टेशनों पर भीड़ में,
विस्फोट, खुद को उड़ाता फ़िरदौस की उम्मीद में !
एक वह जल रहा खड़ा बन्धु-सुत के साथ में,
और जो सारे कि उत्सव मनाते उन्माद में,
बस यहाँ रावण ही रावण हर तरफ़ आते नज़र,
आज कोई राम अब आता नहीं कहीं नज़र!
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कितने रावण!
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एक रावण था कि जिसके साथ थे शस्त्रास्त्र दिव्य,एक ये रावण कि जिसकी देह पर हैं चीनी पटाखे,
एक वो दश-रूप लेकर बन गया आतंकवादी,
अपने तन पर लपेटकर बम-ग्रेनेड विस्फोटक,
करता बाज़ारों चौराहों पर स्टेशनों पर भीड़ में,
विस्फोट, खुद को उड़ाता फ़िरदौस की उम्मीद में !
एक वह जल रहा खड़ा बन्धु-सुत के साथ में,
और जो सारे कि उत्सव मनाते उन्माद में,
बस यहाँ रावण ही रावण हर तरफ़ आते नज़र,
आज कोई राम अब आता नहीं कहीं नज़र!
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