कविता और शायरी
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कविता लिखी जाती है,
शेर पढ़ा जाता है,
लिखे जाने से पहले,
कविता प्रस्फुटित होती है,
पढ़े जाने से पहले,
शेर उछलता है,
उमंग और उल्लास से!
कविता जब प्रस्फुटित होती है,
तो किसी भाषा में नहीं होती,
बस भाव और भावना होती है ।
लेकिन भाषा का सहारा लेते ही,
कोई विशिष्ट रूप ले लेती है,
एक ही भावना और भावना,
अलग-अलग कवि-मन में,
अलग-अलग भाषाओं में,
असंख्य रूप लेती है ।
शेर जब उछलता है,
तो संतुलित होता है,
वज़न को तौलते हुए,
करता है आक्रमण,
अहिंसक, भव्य, स्तब्धकारी,
इसलिए लिखें या पढ़ें,
यह किसी के बस में नहीं,
वे अपनी भंगिमा और मुद्रा,
स्वयं ही तय करते हैं ।
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कविता लिखी जाती है,
शेर पढ़ा जाता है,
लिखे जाने से पहले,
कविता प्रस्फुटित होती है,
पढ़े जाने से पहले,
शेर उछलता है,
उमंग और उल्लास से!
कविता जब प्रस्फुटित होती है,
तो किसी भाषा में नहीं होती,
बस भाव और भावना होती है ।
लेकिन भाषा का सहारा लेते ही,
कोई विशिष्ट रूप ले लेती है,
एक ही भावना और भावना,
अलग-अलग कवि-मन में,
अलग-अलग भाषाओं में,
असंख्य रूप लेती है ।
शेर जब उछलता है,
तो संतुलित होता है,
वज़न को तौलते हुए,
करता है आक्रमण,
अहिंसक, भव्य, स्तब्धकारी,
इसलिए लिखें या पढ़ें,
यह किसी के बस में नहीं,
वे अपनी भंगिमा और मुद्रा,
स्वयं ही तय करते हैं ।
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