October 03, 2017

तेरे ख़त में मेरा ही नाम था,

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तेरे ख़त में मेरा ही नाम था,
तेरा ख़त भी था मेरे ही लिए,
तेरे ख़त में जो इलज़ाम थे,
मैं उन के क़ाबिल था कहाँ?
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(महात्मा के नाम से प्रसिद्ध) गाँधी आज अगर होते तो ख़ुद भी अपनी गलतियों के लिए बेहिसाब शर्मिंदा होते और ’सत्य’ के प्रयोगों के क्रम में शायद देश से क्षमा भी मांगते । केवल कोई महान कार्य कर लेने से कोई महान् तो नहीं होता! हिटलर भी महान् था, औरंगज़ेब भी महान् था, शिवाजी भी महान् थे, हिन्दुत्व भी महान् है, इस्लाम और दूसरे सभी धर्म भी अत्यन्त महान् हैं और सबने एक-से बढ़कर एक महान् कार्य किए हैं इसमें शक नहीं और उनके अनुयायी आज भी तन-मन-धन और प्राण देकर भी उस क्रम को जारी रख रहे हैं इसमें भी कोई शक नहीं !
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