आज की कविता
पेड़ और चिड़िया
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मैं अक्सर सोचा करता था,
क्या पेड़ देख सकते हैं?
मैं अक्सर सोचा करता था,
क्या पेड़ सुन सकते हैं?
मैं अक्सर सोचा करता था,
क्या पेड़ सूँघ सकते हैं?
मैं अक्सर सोचा करता था,
क्या पेड़ चख सकते हैं?
मैं अक्सर सोचा करता था,
क्या पेड़ कुछ कह सकते हैं?
तब चिड़िया बोली,
वे देखते हैं फूलों से,
जो हैं उनकी आँखें,
वे सुनते हैं पत्तियों से,
जो उनके कान हैं,
वे सूंघते हैं, उन रोयों से,
जो उनपर फैले होते हैं,
वे चखते हैं त्वचा से,
जो उनके पूरे शरीर पर होती है ,
और हाँ,
वे कहते भी हैं बहुत कुछ,
जिसे हम तुम्हारे लिए दोहराते हैं !
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पेड़ और चिड़िया
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मैं अक्सर सोचा करता था,
क्या पेड़ देख सकते हैं?
मैं अक्सर सोचा करता था,
क्या पेड़ सुन सकते हैं?
मैं अक्सर सोचा करता था,
क्या पेड़ सूँघ सकते हैं?
मैं अक्सर सोचा करता था,
क्या पेड़ चख सकते हैं?
मैं अक्सर सोचा करता था,
क्या पेड़ कुछ कह सकते हैं?
तब चिड़िया बोली,
वे देखते हैं फूलों से,
जो हैं उनकी आँखें,
वे सुनते हैं पत्तियों से,
जो उनके कान हैं,
वे सूंघते हैं, उन रोयों से,
जो उनपर फैले होते हैं,
वे चखते हैं त्वचा से,
जो उनके पूरे शरीर पर होती है ,
और हाँ,
वे कहते भी हैं बहुत कुछ,
जिसे हम तुम्हारे लिए दोहराते हैं !
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