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प्रश्न : संवेदनशील लोगों का समूह, तंत्र बनकर काम करते हुए, बदले चरित्र वाला, विपरीत सा व्यवहार क्यों करने लगता है?
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एक संभावित उत्तर :
व्यक्ति की ’संवेदनशीलता’ और ’समूह’ की ’संवेदनशीलता’ न सिर्फ़ चरित्र या गुण, बल्कि ’दिशा’ में भी भिन्न-भिन्न होती है ।
वास्तव में किसी भी ’समूह’ की ’संवेदनशीलता’ में समूह के अवयवों (व्यक्तियों) के वैयक्तिक हित एक सर्वनिष्ठ लघुत्तम समापवर्तक होते हैं ।
इसलिए ’लक्ष्य’ हासिल हो जाने पर ’व्यक्तियों’ के दूसरे गुण जो लक्ष्य हासिल होने तक छिपे हुए थे, उभरकर ऊपर आ जाते हैं, और तब ऐसा लगने लगता है !
प्रश्न : संवेदनशील लोगों का समूह, तंत्र बनकर काम करते हुए, बदले चरित्र वाला, विपरीत सा व्यवहार क्यों करने लगता है?
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एक संभावित उत्तर :
व्यक्ति की ’संवेदनशीलता’ और ’समूह’ की ’संवेदनशीलता’ न सिर्फ़ चरित्र या गुण, बल्कि ’दिशा’ में भी भिन्न-भिन्न होती है ।
वास्तव में किसी भी ’समूह’ की ’संवेदनशीलता’ में समूह के अवयवों (व्यक्तियों) के वैयक्तिक हित एक सर्वनिष्ठ लघुत्तम समापवर्तक होते हैं ।
इसलिए ’लक्ष्य’ हासिल हो जाने पर ’व्यक्तियों’ के दूसरे गुण जो लक्ष्य हासिल होने तक छिपे हुए थे, उभरकर ऊपर आ जाते हैं, और तब ऐसा लगने लगता है !
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