July 19, 2015

आज की कविता / मंज़र

आज की कविता
--
©


मंज़र

रोज़ बदल जाते हैं,
निज़ाम हुकूमत के,
रोज़ बदल जाती है,
तक़दीर रिआया की ।
रोज़ बदल जाते हैं,
नजूमी सियासत के,
रोज़ बदल जाती है,
पेशीनग़ोई उनकी ।
--
शुभ रात्रि !

No comments:

Post a Comment