आज की कविता
--
©
मंज़र
रोज़ बदल जाते हैं,
निज़ाम हुकूमत के,
रोज़ बदल जाती है,
तक़दीर रिआया की ।
रोज़ बदल जाते हैं,
नजूमी सियासत के,
रोज़ बदल जाती है,
पेशीनग़ोई उनकी ।
--
शुभ रात्रि !
--
©
मंज़र
निज़ाम हुकूमत के,
रोज़ बदल जाती है,
तक़दीर रिआया की ।
रोज़ बदल जाते हैं,
नजूमी सियासत के,
रोज़ बदल जाती है,
पेशीनग़ोई उनकी ।
--
शुभ रात्रि !
No comments:
Post a Comment