कविता : 27-07-2022
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वह जो यहाँ है, वही वहाँ है,
यहाँ और वहाँ के बीच का फ़ासला,
चाहे जितना भी कम या ज़्यादा हो!
वह जो भीतर है, वही बाहर है,
वह जो बाहर है, वही भीतर है।
भीतर और बाहर के बीच का फ़ासला,
चाहे जितना भी कम या ज़्यादा हो!
वह जो बाहर है, वही भीतर है,
वह जो भीतर है, वही बाहर है।
कोई किसी को बदल नहीं सकता!
बाहर बिम्ब है, भीतर प्रतिबिम्ब है,
बाहर प्रतिबिम्ब है, भीतर बिम्ब है।
भीतर बिम्ब है, बाहर प्रतिबिम्ब है,
भीतर प्रतिबिम्ब है, बाहर बिम्ब है।
बाहर, जो भीतर प्रतिबिम्बित है,
भीतर, जो बाहर प्रतिबिम्बित है।
एक चुम्बित है, एक प्रति-चुम्बित है!
एक स्तंभित है, एक प्रति-स्तंभित है!
एक अवलंबन है, एक अवलंबित है!
कौन क्या है!, क्या कौन है!
क्या कौन है?, कौन क्या है?
शब्द मौन है, मौन शब्द है,
स्तब्ध निःस्तब्ध है, निःस्तब्ध स्तब्ध है!!
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