आखिर कब तक चाहा जाए,
कब तक झूठ सराहा जाए!
कब तक दर्दों को सहा जाए,
कब तक रिश्ता निबाहा जाए!
कब तक बोझ उठाया जाए,
कब तक यूँ ही कराहा जाए?
कौन रोक सकता है तुमको,
कब तक अश्क बहाया जाए?
कभी तो होनी ही है इंतिहा,
कब तक लिहाज / लिहाफ ये ओढ़ा जाए!
अब तो फिर से हँसना सीखो,
कब तक रोया-धोया जाए!
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Dedicated to all ex-Valentines !
😂
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