May 04, 2011

~~मेरे शहर में, आजकल~~


~~~ मेरे शहर में, आजकल ~~~
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© Vinay Vaidya 
04052011


आजकल,
इस शहर में,
’रास्ते’ बन्द हैं,
’सड़कें’ बन रही हैं ।
’घर’ टूट रहे हैं,
’मकान’ बन रहे हैं ।
’रिश्ते’ खो रहे हैं,
’दोस्त’ बन रहे हैं ।
’तरक्की’ हो रही है,
’ज़िन्दगी’ बीत रही है ।
वृक्ष कट रहे हैं,
जंगल उग रहे हैं,
आजकल मेरे शहर में !!
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2 comments:

  1. शहर विकास के रास्‍ते पर जो है, गली-गली विकसित है.

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  2. वाह राहुलजी,
    चुभती हुई टिप्पणी !!
    धन्यवाद !
    सादर,

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