कर्म का उद्भव कहाँ से होता है? / कर्म-मूल क्या है?
Where from arises the Action / कर्म?
The Origin and the roots of :
The Action / कर्म
अध्याय १८ के श्लोक १८ के अनुसार
ज्ञान ही कर्म का मूल है, अर्थात् ज्ञान का उन्मेष होने के अनन्तर ही कर्म घटित होता है।
ज्ञानं ज्ञेयं परिज्ञाता त्रिविधा कर्मचोदना।
करणं कर्म कर्तेति त्रिविधः कर्मसङ्ग्रहः।।
और ज्ञान के व्यक्त रूप में आने के बाद ही कर्म भी व्यक्त हो उठता है जिसका फल अर्थात् कर्मफल भी कर्म का ही विस्तार है।
कर्तुराज्ञया प्राप्यते फलम्।
कर्म किं परं कर्म तज्जडम्।।१।।
कृति महोदधौ पतनकारणम्।
फलमशाश्वतम् गतिनिरोधकम्।।२।।
ईश्वरार्पितं नेच्छया कृतम्।
चित्तशोधकं मुक्तिसाधकम्।।३।।
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