July 30, 2025

THE MESONIC LODGE.

भूतखाना चौक

साल था 1985, माह दिसंबर, तारीख 14.

इसी दिन मेरा स्थानान्तरण उस शहर में हो गया था, जहाँ इस नाम से प्रसिद्ध एक क्षेत्र था / है। 16 दिसंबर के दिन मैं नए कार्यस्थल पर उपस्थित हो गया। बहुत दिनों बाद "श्री रमण महर्षि से बातचीत" पुस्तक में महात्मा गांधी के जीवन का वृत्तान्त पढ़ रहा था जिसे पहले 1983 के बाद भी पढ़ चुका था और भूल भी चुका था। 

इससे पहले के अर्थात् 1981 से तब तक के मेरे पिछले कुछ साल बड़े विचित्र बीते थे। स्वतंत्र ईश्वरीय संकल्प (Automatic Divine Action इस  विचार से मेरा परिचय उन्हीं दिनों हुआ था। इस विचार के जन्म का आधार था :

स्वतंत्र संकल्प  Free Will  की अवधारणा। 

उन दिनों  मैं "ध्यान, भगवान / ईश्वर, जीवन" और यह सब क्या है, इन और इस जैसी आध्यात्मिक धारणाओं के बारे में जानने-समझने का प्रयत्न कर रहा था। और श्री रमण महर्षि तथा मुझे श्री जे कृष्णमूर्ति के साहित्य से बहुत प्रेरणा मिलने लगी थी।

"श्री रमण महर्षि से बातचीत" नामक पुस्तक ही मेरा एकमात्र मार्गदर्शक ग्रन्थ था।

राजकोट में रहने लगा तो वहाँ पर श्री रामकृष्ण परमहंस के मठ में भी प्रायः जाने लगा था। इसी दौरान फिर एक बार उपरोक्त पुस्तक में गांधी जी के जीवन से संबंधित इस विवरण को पढ़ने का अवसर मिला, जिसमें वे कह रहे थे -

"राजकोट मैं क्यों जा रहा हूँ? शायद यह विधाता का ही विधान है।"

राजकोट में किसी समय Mesonic Lodge  नामक एक संस्था Theosophy  की स्थापना के समय से ही कार्य कर रही थी। इसे ही स्थानीय लोग भूतखाना कहा करते थे। उस संस्था से कुछ अंग्रेज और यूरोपय, और अन्य विदेशी लोग जुड़े रहे होंगे ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है।

अंग्रेजी भाषा का 

Meson / Mission शब्द, मिस्र / इजिप्ट के समय के पिरामिड्स के निर्माण के समय से ही प्रचलित है, जब फराओ Pharaoh के समय में मृतकों को "ममीफाय" किया जाने लगा था और मृत्यु हो जाने के बाद आत्मा के अस्तित्व की उस धारणा को सत्य माना जाता था जिसमें मृतक के शव को सुरक्षित रखा जाता था ताकि प्रलय के आने तक मृतक की आत्मा उन सब सुखों का उपभोग करती रह सके जिनका उपभोग उसने जीवित रहते हुए किया था। उन्हें यह आशा थी कि प्रलय के आने पर उन्हें पुनः जीवित किया जा सकेगा। यद्यपि यह विषय गूढ है और शायद अविश्वसनीय तथा विचित्र भी। किन्तु संभव है कि अब्राहमिक परंपराओं में अंतिम न्याय के दिन की परिकल्पना का प्रारंभ यहीं से हुआ है। जो भी हो यह सनातन वैदिक और पौराणिक धर्म की उन मान्यताओं पर ही अवलंबित था जिसमें प्रेतलोक और पितृलोक के अस्तित्व के बारे में कहा जाता है। मिस्र से मिस्री और मेसन तथा अंग्रेजी में इसी अर्थ में :

Meson / Mesonic / Mission / Missionary  

मेसनिक और मेसन शब्दों का प्रचलन प्रारंभ हुआ होगा, ऐसा कह सकते हैं।

तब से आज तक भी बहुत ही कम, इने गिने कुछ लोग पृथ्वी पर हैं जो आज भी उस प्रेत लोक और पितृ लोक के संपर्क में हैं और यद्यपि यह एक ऐसा रहस्यमय क्षेत्र है जहाँ रहनेवाली अशरीरी आत्माएँ सुदूर अतीत से सुदूर भविष्य की घटनाओं को देख सकती हैं, फिर भी औसत मनुष्य के लिए बहुत भयावह भी है। सामान्य मनुष्य इस बारे में शायद ही कभी कुछ जान सकता है। किन्तु आज जब से इंटरनेट टैक्नॉलॉजी का अत्यन्त अधिक विकास हुआ है, उन लोकों में रहनेवाली आत्माओं को सामान्य मनुष्य से जुड़ने का यह एक सुविधाजनक माध्यम प्राप्त हो गया है। आजकल के अधिकांश भविष्यवक्ता जो कि आकाशीय रेकॉर्ड्स तथा ऐन्जलिक कनेक्शन का दावा किया करते हैं इसीलिए मनुष्य और हमारी पूरी दुनिया के ही भविष्य के बारे में विश्वसनीय और प्रामाणिक रूप से बहुत सी बातों को वैसे ही देख सकते हैं जैसे आज हम इंटरनेट के उपयोग से मोबाइल या कंप्यूटर के स्क्रीन पर देखा करते हैं। वे आत्माएँ / Angels  जो ऋषि अङ्गिरा की ही परंपरा की हैं सदैव मनुष्यों से संपर्क करती रही हैं किन्तु आज यह और भी अधिक आसान हो गया है। बाबा वेंगा, नॉस्ट्रेडेमस या जापानी भविष्यदृष्टा इसीलिए वैसे ही सुनिश्चित भविष्यवाणी कर पाते हैं जैसे कि भृगु आदि प्राचीन ऋषि किया करते थे / हैं। 

एक sub-atomic particle   होता है  मॅसॉन /  Meson जो मनुष्यों और उन अशरीरी आत्माओं के बीच इसी संपर्क को संभव बनाता है। वे लोग सब कुछ, अतीत और भविष्य, जानते हैं और उन्हें यह भी पता है कि मनुष्य का अपने आपके स्वतंत्र संकल्प का विचार उसका कोरा अज्ञान और भ्रम ही है। यद्यपि वे समष्टि चेतना / collective consciousness के माध्यम से ही यह सब जानते हैं किन्तु उन्हें यह भी पता है कि वे न तो किसी घटना को और न ही किसी मनुष्य या उसके भाग्य को प्रभावित कर सकते हैं।

विधाता ने जैसा पहले से से सुनिश्चित किया है वैसा होना अवश्यम्भावी, अचल और अटल है।

ऋग्वेद के पुरुष-सूक्त में इसे ही 

यथा धाता पूर्वमकल्पयत् ...

इन शब्दों से इंगित किया गया है। 

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